Key Considerations: Disability-Inclusive Humanitarian Action and Emergency Response in South and Southeast Asia and Beyond || Disability-Inclusive Humanitarian Action and Emergency Response in South and Southeast Asia and Beyond||प्रमुख विचार: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया आदि में विकलांगता-समावेशी मानवतावादी कार्रवाई और आपातकालीन गतिविधियाँ||दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में विकलांगता-समावेशी मानवीय कार्रवाई और आपातकालीन प्रतिक्रिया||ध्यान दिनुपर्ने मुख्य कुराहारु : दक्षिण तथा दक्षिणपूर्वी एसिया र बाहिरका देशहरूमा अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई समावेश गर्ने मानवीय तथा आपतकालीन उद्दार कार्य||दक्षिण तथा दक्षिणपूर्वी एसिया र बाहिरका देशहरूमा अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई समावेश गर्ने मानवीय तथा आपतकालीन उद्दार कार्य
posted on 2024-09-05, 20:44authored byObindra Bahadur Chand, Katie Moore, Stephen Thompson, Tabitha Hrynick
In many settings, people with disabilities face multiple and complex layers of environmental, societal and structural barriers. These barriers can lead to them being disproportionately harmed, neglected and excluded during humanitarian and other emergency responses.1–3 This is especially evident in low- and middle-income countries (LMICs), including Nepal and other South and Southeast Asian nations.4 Limited awareness of the needs of people with disabilities, entrenched social stigma, and inaccessible infrastructure can exacerbate the challenges they face in emergency situations. In addition, there has been little preparation and planning to make disaster and emergency planning disability inclusive.3,5,6
This brief explores disability in the context of humanitarian and public health emergencies in South and Southeast Asia. Its focus is on Nepal, but the principles are universally relevant and can be adapted for any context. It is intended for stakeholders in government, civil society and the humanitarian sector. It aims to support stakeholders to better understand how structural inequities, alongside social and cultural norms and practices, exacerbate the marginalisation and exclusion of people with disabilities in emergencies. This brief presents examples of good practice for disability-responsive humanitarian and emergency planning and intervention. It also provides key considerations for actors aiming to support greater inclusion of people with disabilities in response.
This brief draws on evidence from academic and grey literature, and from open-source datasets. It was authored by Obindra Chand (HERD International, University of Essex), Katie Moore (Anthrologica) and Stephen Thompson (Institute of Development Studies (IDS)), supported by Tabitha Hrynick (IDS). This brief is the responsibility of SSHAP.
Please note: there is an accompanying infographic summarising the key points from the briefing.||विकलांग लोगों को पर्यावरणीय, सामाजिक और संरचनात्मक दिक्कतों और समस्याओं का विभिन्न जटिल संदर्भों और विविध रूपों में सामना करना पड़ता है। मानवीय और अन्य आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के दौरान इन बाधाओं के कारण उन्हें अत्यधिक नुकसान भी उठाना पड़ता है तथा उन्हें उपेक्षित और बहिष्कृत भी किया जाता है।1–3 यह स्थिति विशेष रूप से नेपाल और अन्य दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों (low- and middle-income countries) में सामने आई है।4 विकलांग लोगों की जरूरतों, सामाजिक सोच और दुर्गम बुनियादी ढाँचे के बारे में सीमित जागरूकता आपातकालीन स्थितियों में उनके सामने आने वाली चुनौतियों में इजाफा कर सकती है। इसके अलावा, आपदा और आपातकालीन योजना विकलांगता को समावेशी बनाने के लिए बहुत कम तैयारी की गई है तथा योजना भी उसके अनुरूप नहीं है।3,5,6
इससे दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में मानवीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के संदर्भ में विकलांगता की पड़ताल होती है। इसका फोकस नेपाल पर है लेकिन सिद्धांत सार्वभौमिक रूप से प्रासंगिक हैं और इन्हें किसी भी संदर्भ के लिए अपनाया जा सकता है। यह सरकार, सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) और मानवीय क्षेत्र के हितधारकों के लिए है। इसका उद्देश्य हितधारकों को यह बेहतर ढंग से समझने में सहायता करना है कि कैसे सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों और प्रथाओं के साथ-साथ संरचनात्मक असमानताएँ आपात स्थिति में विकलांग लोगों के हाशिए पर ले जाने और बहिष्कार को बढ़ा देती हैं। यह संक्षिप्त विवरण विकलांगता-उत्तरदायी मानवीय और आपातकालीन योजना और हस्तक्षेप के लिए अच्छे अभ्यास के उदाहरण प्रस्तुत करता है। इससे विकलांग लोगों के और अधिक समावेशन की वकालत करने का लक्ष्य रखने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण विचार भी प्राप्त होता है।
यह संक्षिप्त विवरण शैक्षिक साहित्य तथा ओपन-सोर्स डेटा के साक्ष्य पर आधारित है। इसे ओबिन्द्र चंद (एच.ई.आर.डी. इंटरनेशनल, एसेक्स युनिवर्सिटी), केटी मूर (एंथ्रोलॉजिका) और स्टीफन थॉम्पसन (इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज (आई.डी.एस.)) द्वारा तैयार किया गया है तथा यह विवरण तबीथा ह्रीनिक (आई.डी.एस.) द्वारा समर्थित है। इस संक्षिप्त विवरण को कार्यरूप देने की जबावदारी एस.एस.एच.ए.पी. की है।||कृपया ध्यान दें: साथ में ब्रीफिंग के मुख्य बिंदुओं का सारांश देने वाला एक इन्फोग्राफिक भी है।||अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुले धेरै स्थानहरूमा विभिन्न प्रकारका र जटिल किसिमका वातावरणीय, सामाजिक र संरचनात्मक बाधाहरू सामना गरेका हुन्छन्। यस्ता बाधाहरूले गर्दा ती अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई मानवीय र अन्य आपतकालीन उद्दार गर्ने समयमा असमान हानि, तिरस्कार उपेक्षा र बहिष्कार गरिन सक्छ।1–3 विशेष गरी नेपाल र अन्य दक्षिण तथा दक्षिणपूर्वी एसियाली राष्ट्रहरूसहित न्यून र मध्यम आय भएका देशहरू (LMIC हरू) मा यस्तो अवस्था स्पष्ट रूपमा देखिन्छ।4 अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुमा आफ्नो आवश्यकताको सीमित जागरूकता, सामाजिक लाञ्छना र पहुँच हुन गाह्रो पूर्वाधारले गर्दा आपतकालीन अवस्थामा उनीहरूले सामना गर्ने चुनौतीहरू अझै बढ्न सक्छ। यसका साथै अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई समावेश गर्ने हेतुले यो विपद् र आपतकालीन योजना थोरै तयारी र योजना गरी बनाइएको छ।3,5,6
यो संक्षिप्त विवरणले दक्षिण तथा दक्षिणपूर्वी एसियामा मानवीय र जनस्वास्थ्य आपतकालिन अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई अन्वेषण गर्छ। यो संक्षिप्त विवरणको नेपालमा केन्द्रित भएतापनि यसका सिद्धान्तहरू विश्वव्यापी रूपमा सान्दर्भिक रहेका छन् र यिनीहरूलाई पछि जुनसुकै सन्दर्भमा मिल्ने गरी परिवर्तन गर्न सकिन्छ। यो सरकार, नागरिक समाज र मानवीय क्षेत्रका सरोकारवालाहरूका लागि तयार गरिएको हो। यसले सामाजिक र सांस्कृतिक व्यवहार र अभ्यासहरूका साथसाथै संरचनात्मक असमानताहरूले आपतकालीन अवस्थामा अपाङ्गहरूलाई केही महत्व नदिने र बहिष्कार गर्ने कार्यलाई कसरी बढाउँछ भन्ने कुरालाई अझ राम्रोसँग बुझ्न सरोकारवालाहरूलाई सहायता गर्ने लक्ष्य राखेको छ। यो संक्षिप्त विवरणले अपाङ्गताप्रति उत्तरदायी हुने मानवीय र आपतकालीन योजना तथा हस्तक्षेपको राम्रो कार्यकोउदाहरणहरू प्रस्तुत गर्छ। यसले उद्दार कार्यमा अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई थप समावेश गर्न सहायता गर्ने अभियन्ताहरूका लागि आफूले ध्यान दिनुपर्ने मुख्य विचारहरू पनि प्रदान गर्छ।
यो संक्षिप्त विवरणमा शैक्षिक र परम्परागत प्रकाशन र वितरण साहित्य र खुला स्रोत डाटा सेटहरूको प्रमाणहरू प्रयोग गरिएको छ। यो Tabitha Hrynick (IDS) को सहयोगमा Obindra Chand (HERD International, University of Essex), Katie Moore (Anthrologica) र Stephen Thompson (Institute of Development Studies (IDS) द्वारा लेखिएको हो। यो संक्षिप्त विवरण SSHAP को जिम्मेवारी हो।||कृपया ध्यान दिनुहोस्: त्यहाँ ब्रीफिंगका मुख्य बुँदाहरू संक्षेपमा समावेश गरिएको इन्फोग्राफिक छ
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Default funder
History
Publisher
Institute of Development Studies
Citation
Chand, O.; Moore, K. and Thompson, S. (2024) ध्यान दिनुपर्ने मुख्य कुराहारु : दक्षिण तथा दक्षिणपूर्वी एसिया र बाहिरका देशहरूमा अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई समावेश गर्ने मानवीय तथा आपतकालीन उद्दार कार्य. Social Science In Humanitarian Action (SSHAP) DOI: http://www.doi.org/10.19088/SSHAP.2024.001
Hrynick, T. (2023) दक्षिण तथा दक्षिणपूर्वी एसिया र बाहिरका देशहरूमा अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई समावेश गर्ने मानवीय तथा आपतकालीन उद्दार कार्य. Social Science In Humanitarian Action (SSHAP) DOI:10.19088/SSHAP.2024.002
Chand, O.; Moore, K. and Thompson, S. (2023) Key Considerations: Disability-Inclusive Humanitarian and Emergency Response in South and Southeast Asia and Beyond. Social Science In Humanitarian Action (SSHAP) DOI:10.19088/SSHAP.2023.019
Hrynick, T. (2023) Disability-Inclusive Humanitarian and Emergency Response in South and Southeast Asia and Beyond. Social Science In Humanitarian Action (SSHAP) DOI:10.19088/SSHAP.2023.020
Hrynick, T. (2024) दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में विकलांगता-समावेशी मानवीय कार्रवाई और आपातकालीन प्रतिक्रिया. Social Science In Humanitarian Action (SSHAP) DOI: 10.19088/SSHAP.2023.028
Chand, O.; Moore, K. and Thompson, S. (2023) प्रमुख विचार: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया आदि में विकलांगता-समावेशी मानवतावादी कार्रवाई और आपातकालीन गतिविधियाँ. Social Science In Humanitarian Action (SSHAP) DOI: 10.19088/SSHAP.2023.027